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कामाक्षीस्तोत्रम् ५ (चन्द्रशेखरसरस्वती विरचितं मङ्गल चरणे) | Kamakshi stotram 5
श्रीकामाक्षीस्तोत्रम्
मङ्गल चरणे मङ्गल वदने मङ्गलदायिनी कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ १॥
कष्ट निवारिणी इष्ट विदायिनी दुष्ट विनाशिनी कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ २॥
हिमगिरितनये मम हृदिनिलये सज्जनसदये कामाक्षी ।
गुरु गुह जननी कुरु कल्याणं कुञ्जरी जननी कामाक्षी ॥ ३॥
ग्रहनुत चरणे गृहसुतदायिनी नव…bottom of page
