
Ramdhari Singh Dinkar
हिंदी साहित्य के सिंहनाद, राष्ट्रकवि और क्रांतिधर्मी कवि
रामधारी सिंह 'दिनकर' (जन्म: 23 सितंबर 1908 – निधन: 24 अप्रैल 1974) हिंदी के युगांतरकारी कवियों में से एक हैं, जिन्हें 'राष्ट्रकवि' की उपाधि मिली। उनका साहित्यिक कर्तृत्व राष्ट्रवाद, क्रांति, सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक गौरव से ओतप्रोत है। ‘दिनकर’ की लेखनी में वेदना भी है, विद्रोह भी; करुणा भी है, क्रांति भी। वे एक ऐसे युग के कवि थे जो गुलामी से आज़ादी और फिर आज़ादी के बाद की सामाजिक असमानताओं के बीच भारतीय आत्मा की आवाज़ बनकर उभरे।

Ravindra Nath Tagore
श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर- वह दीपक जो आत्मा और राष्ट्र दोनों को प्रकाशित करता है... "एक नाम, एक युग, एक चेतना"
भारतीय साहित्य, कला और आत्मबोध के इतिहास में यदि कोई नाम स्वतंत्रता से पहले ही ‘स्वतंत्र’ हो गया था, तो वह है – रवीन्द्रनाथ टैगोर। वे न केवल कवि थे, बल्कि भारत की आत्मा के सबसे गहरे संवाददाता थे – एक दार्शनिक, संगीतज्ञ, चित्रकार, नाटककार, उपन्यासकार, शिक्षाशास्त्री और राष्ट्रनिर्माता भी। उनका जीवन कोई साधारण जीवन नहीं था; यह एक आंदोलन था – आत्मा की स्वतंत्रता का, विचारों की उड़ान का, और भारत की सांस्कृतिक पुनर्जागरण का।