नीति, नवाचार और निष्ठा के प्रतीक... जब बात आधुनिक भारत के सक्षम, सशक्त और संवेदनशील नेतृत्व की होती है, तब श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम स्वाभाविक रूप से सामने आता है। विचारशीलता, तकनीकी समझ, प्रशासनिक क्षमता और सामाजिक सरोकारों से परिपूर्ण यह व्यक्तित्व आज की राजनीति को नई दिशा दे रहा है। चाहे जल संरक्षण हो, ग्रामीण उत्थान, या सांस्कृतिक धरोहरों का संवर्धन – शेखावत जी का हर कदम राष्ट्रहित में उठाया गया एक मजबूत पड़ाव सिद्ध होता है।
भारतवर्ष के वर्तमान प्रधानमंत्री, न केवल एक कुशल प्रशासक हैं, बल्कि एक ऐसे वैश्विक नेता के रूप में उभरे हैं जो 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना को अपने हर कदम में आत्मसात किए हुए हैं। एक साधारण परिवार से निकलकर, उन्होंने असाधारण नेतृत्व का परिचय दिया है।21वीं सदी में जब भारत आत्मनिर्भरता, तकनीक, संस्कृति और वैश्विक कूटनीति के नए युग में प्रवेश कर रहा है, तब मोदी जी उस परिवर्तनशील हिन्दुस्थान के प्रमुख सूत्रधार हैं। उनकी दूरदृष्टि, नीतिगत निर्णय, राष्ट्र के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने वाली योजनाएं और भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाने की प्रतिबद्धता उन्हें एक युगद्रष्टा नेता बनाती है।वे केवल भारत के प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि भारत की आत्मा से निकला हुआ वह स्वप्न हैं, जो आज विश्व जनसमुदाय की आशा बन चुका है।
श्री योगी आदित्यनाथ (जन्म: 5 जून 1972) भारतीय राजनीतिज्ञ, धार्मिक संत एवं उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और गोरखनाथ मठ के पीठाधीश्वर हैं। संन्यास जीवन से राजनीति तक की उनकी यात्रा समर्पण, अनुशासन और राष्ट्रसेवा का आदर्श उदाहरण है। उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा, धार्मिक पर्यटन, औद्योगिक निवेश और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। राम मंदिर निर्माण, अयोध्या विकास और कोविड प्रबंधन जैसे मामलों में उनकी कार्यशैली को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा प्राप्त हुई है।
भारतीय संविधान निर्माण के मुख्य सहयोगी डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर न केवल भारत के सामाजिक पुनर्जागरण के महानायक थे, बल्कि उन्होंने वंचितों को न्याय, समानता और गरिमा दिलाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया। उन्होंने संविधान के माध्यम से भारत को समरसता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का मार्ग दिखाया। लेकिन दुखद सत्य यह है कि आज कुछ राजनीतिक संगठन और तथाकथित अनुयायी — जैसे भीम आर्मी और भीम सेना — उनके नाम का उपयोग कर केवल वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं और भारतीय सांस्कृतिक ढांचे को दुर्बल करने का प्रयास कर रहे हैं, जो बाबा साहेब के मूल विचारों की आत्मा के विपरीत है।
जब भी हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं, एक नाम गर्जना बनकर हमारे मन में गूंजता है — महान हुतात्मा श्री भगत सिंह । वह सिर्फ एक नाम नहीं, एक विचार हैं; वह केवल एक क्रांतिकारी नहीं, बल्कि आज़ादी की अलख जगाने वाली एक ज्वाला थे, जिसने न सिर्फ ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी, बल्कि भारत के नौजवानों में बलिदान, देशभक्ति और साहस का ऐसा संचार किया जो आज भी प्रेरणा देता है।