श्री विष्णु | Shri Vishnu
Shri Hari Narayan
श्री विष्णु, हिन्दू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं, जिनकी पूजा सर्वत्र की जाती है। वे सृष्टि के पालनहार और ब्रह्मांड के संचालनकर्ता माने जाते हैं। श्री विष्णु का स्वरूप बहुत ही दिव्य और व्यापक है, और उनके बारे में पुराणों में कई कथाएँ मिलती हैं। वे जीवन के उद्देश्य और धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं, जिनमें प्रमुख अवतार जैसे श्री राम, श्री कृष्ण, वामन, नरसिंह आदि शामिल हैं।

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श्री विष्णु का रूप:
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शरीर का वर्णन: श्री विष्णु का शरीर अत्यन्त सुन्दर और आकर्षक होता है, जो आकाश की नीली छांव जैसा प्रतीत होता है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें शंख, चक्र, गदा और पद्म होते हैं।
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आभूषण और चिन्ह: श्री विष्णु को दिव्य आभूषणों से अलंकृत किया जाता है, जैसे की उनकी नीलमणि की माला, मुकुट, और कच्छप (कछुआ) वाहन के रूप में। उनका शंख, चक्र और गदा धर्म और सत्य का प्रतीक हैं।
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श्री विष्णु का महत्व:
श्री विष्णु का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है। वे संसार के पालनकर्ता हैं और साथ ही विष्णु के शरणागत वत्सल रूप में, वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। वे उन सभी लोगों के उद्धारक हैं जो उनका सच्चे मन से स्मरण करते हैं। श्री विष्णु का शरण लेने वाला व्यक्ति कभी निराश नहीं होता।
विष्णु का भक्ति मार्ग:
भगवान विष्णु के प्रति भक्ति, प्रेम और समर्पण के द्वारा मानव जीवन को शुद्ध और आनंदमय बनाया जा सकता है। उनकी भक्ति में सच्चे मन से विश्वास और प्रेम होना चाहिए। जो व्यक्ति श्री विष्णु के चरणों में अपनी पूरी श्रद्धा अर्पित करता है, वह सभी कष्टों से मुक्त होता है और अन्ततः मोक्ष प्राप्त करता है।
श्री विष्णु के दस अवतार (दशावतार):
भगवान श्री विष्णु ने धर्म की रक्षा और संसार में अधर्म का नाश करने के लिए समय-समय पर पृथ्वी पर अवतार लिया। उनके दस प्रमुख अवतार, जिन्हें दशावतार कहा जाता है, हिन्दू धर्म में अत्यन्त महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ये दस अवतार भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों को दर्शाते हैं, जिनका हर एक अवतार एक विशिष्ट उद्देश्य को पूरा करने के लिए था।
दशावतार के नाम और वर्णन:
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श्री मत्स्य अवतार (मछली रूप):
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भगवान विष्णु ने मछली के रूप में अवतार लिया जब प्रलय के समय वे वेदों को और ऋषियों को लेकर सुरक्षित स्थान पर गए। इस अवतार में भगवान विष्णु ने मछली का रूप धारण किया और बड़ी नाव में वेदों और जीवों को सुरक्षित किया।
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श्री कूर्म अवतार (कच्छुआ रूप):
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भगवान विष्णु ने कच्छुआ के रूप में अवतार लिया जब देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया। मंथन के दौरान मंदर पर्वत को स्थिर करने के लिए भगवान ने कूर्म (कच्छुआ) का रूप धारण किया और पर्वत को अपनी पीठ पर रखा।
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श्री वराह अवतार (सूअर रूप):
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भगवान विष्णु ने वराह के रूप में अवतार लिया जब पृथ्वी को राक्षस हिरण्याक्ष ने समुद्र में डाल दिया। भगवान विष्णु ने वराह रूप में पृथ्वी को समुद्र से बाहर निकाला और राक्षस का वध किया।
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श्री नरसिंह अवतार (आधिकारिक रूप):
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भगवान विष्णु ने नरसिंह के रूप में अवतार लिया जब राक्षस राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने की धमकी दी। भगवान विष्णु ने मानव और शेर के आधे-आधे रूप में अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध किया।
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श्री वामन अवतार (वामन रूप):
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भगवान विष्णु ने वामन (ब्रह्मचारी रूप) के रूप में अवतार लिया जब दानवों के राजा बलि ने स्वर्ग तक अपनी सत्ता फैलाने का प्रयास किया। भगवान ने वामन रूप में तीन पग भूमि का दान लिया और तीन पग में सम्पूर्ण ब्रह्मांड का विस्तार किया।
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श्री परशुराम अवतार (परशु वाले ब्राह्मण):
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भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अवतार लिया जब पृथ्वी पर असुरों का अत्याचार बढ़ गया। भगवान ने ब्राह्मण रूप में परशु (कुल्हाड़ी) के साथ आकर असुरों का संहार किया और धर्म की स्थापना की।
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भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया। राम को आदर्श राजा, आदर्श पति और आदर्श पुत्र के रूप में पूजा जाता है। राम ने राक्षस राजा रावण का वध कर सीता माता को मुक्ति दिलाई और धरती पर धर्म की स्थापना की।
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श्री कृष्ण अवतार (श्री कृष्ण):
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भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में अवतार लिया। कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। वे यदुवंशी थे और उनके जीवन के अनेक लीलाएं, जैसे गोपियाँ, राधा, और गोवर्धन पर्वत की पूजा, भक्तों के लिए प्रेरणा हैं।
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श्री बुद्ध अवतार (बुद्ध रूप):
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भगवान विष्णु ने बौद्ध धर्म के संस्थापक, भगवान गौतम बुद्ध के रूप में अवतार लिया। उन्होंने संसार को ज्ञान और अहिंसा का उपदेश दिया और अज्ञान और दुख से मुक्ति के लिए ध्यान और साधना का मार्ग बताया।
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श्री कल्कि अवतार (आने वाला अवतार):
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कल्कि अवतार भगवान विष्णु का अंतिम अवतार माना जाता है, जो भविष्य में होंगे। जब संसार में अधर्म और भ्रष्टाचार अधिक बढ़ जाएगा, तब भगवान विष्णु कल्कि के रूप में आकर दुष्टों का नाश करेंगे और सत्य का प्रचलन करेंगे।
