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राधाष्टकस्तोत्रम् | Radha Ashtak stotram
श्रीराधाष्टकस्तोत्रम्
श्रीराधां राधिकां वन्दे, कुञ्ज-कुञ्जेषु-शोभ िताम् ।
व्रजन्तीं सह कृष्णेन, व्रज-वृन्दावने शुभाम् ॥ १॥
व्रजस्थ वृन्दावन धाम में श्रीसर्वेश्वर श्रीकृष्ण भगवान् के साथ पधारती हुई परम सुशोभित एवं कुञ्ज-निकुञ्जों में नित्य निकुञ्जेश्वरी श्रीराधिकाजी की अभिवन्दना करते हैं ॥ १॥
दिव्य-सौन्दर्य सम्पन्नां, भजेऽहं मनसा सदा ।
राधिकां करुणापूर्णां, सर्वेश्वरीञ्च सौभगाम् ॥ २॥
परम दिव्य सुन्दरता की स्वरूप…bottom of page
