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सरस्वतीस्तोत्रम् (उमेश्वरानन्दतीर्थविरचितम् २ नवार्क बिम्बद्युति मुद्गलत् हलत्) | sarasvati stotram by umeshvarananda 2

श्रीसरस्वतीस्तोत्रम् 
नवार्क बिम्बद्युति मुद्गलत् हलत्
       ताटङ्क केयूर किरीट कङ्कणम् ।
स्फुरत्क्वणन्नूपुराव रञ्जितां
       नमामि कोटिन्दुमुखीं सरस्वतीम् ॥ १॥

वन्दे सदाऽहं कलहंस उद्वते
       चलत्पदे चञ्चल चञ्चुसम्पुटे ।
निर्धौत मुक्ताफल हार सञ्चयं
       सङ्घारयन्तीं सुभगां सरस्वतीम् ॥ २॥

वराभयं पुस्तक वल्लकीयुतां
       परं दधानं विमले करद्वये ।
नमाम्यहं त्वं शुभदां सरस्वतीं
       जगन्मयीं ब्रह्ममयीं मनोहराम् ॥ ३॥

तरङ्गिताङ्क्षौमसिता…
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