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सरस्वत्यष्टकम् २ (अमला विश्ववन्द्या सा कमलाकरमालिनी) | sarasvatyashtakam 2

श्रीसरस्वत्यष्टकम् 
अमला विश्ववन्द्या सा कमलाकरमालिनी ।
विमलाभ्रनिभा वोऽव्यात्कमला या सरस्वती ॥ १॥

वार्णसंस्थाङ्गरूपा या स्वर्णरत्नविभूषिता ।
निर्णया भारति श्वेतवर्णा वोऽव्यात्सरस्वती ॥ २॥

वरदाभयरुद्राक्षवरपुस्तकधारिणी ।
सरसा सा सरोजस्था सारा वोऽव्यात्सरास्वती ॥ ३॥

सुन्दरी सुमुखी पद्ममन्दिरा मधुरा च सा ।
कुन्दभासा सदा वोऽव्याद्वन्दिता या सरस्वती  ॥ ४॥

रुद्राक्षलिपिता कुम्भमुद्राधृतकराम्बुजा ।
भद्रार्थदायिनी साव्याद्भद्राब्जाक्षी सरस्वती ॥ ५॥

रक्तकौशेयरत्नाढ्या व्यक्तभाषणभूषणा ।
भक्तहृत्पद्मसंस्था सा शक्ता वोऽव्यात्सरस्वती …
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