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सारस्वताष्टकम् (मुनिराजधर्मविजयविरचितम्) | sarasvatashtakam
सारस्वताष्टकम्
शीतला शीतला शान्ता शर्मदा शीलभूषणा ।
शोभिता शतपद्मेन शरण्यानां शिवङ्करी ॥ १॥
लवणिम-समायुक्ता सद्गुणवरदायिनी ।
पद्मस्थिता करेपद्या ``पद्मा'' प्रज्ञां प्रयच्छतु ॥ २॥
वरदा विमला वन्द्या लोकत्रयहितैषिणी ।
सुरेन्द्रैर्या सदा स्तुत्या ``प्रीतिः'' प्रेक्षां प्रयच्छतु ॥ ३॥
तीर्थकरमुखाब्जे या संवसिता समुज्ज्वला ।
अज्ञानतमसो हन्त्री ``शीला'' मतिं प्रयच्छतु ॥ ४॥
शान्तिशातस्य दात्री या दुरितवृन्द-नाशिनी ।
सौम्यमुखारविन्दा मे ``शमा'' ज्ञानं प्रयच्छतु ॥…bottom of page
