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कार्तिकेयकरावलम्बस्तोत्रम् | Kartikeyakar Avalambastotram
श्रीकार्तिकेयकरावलम्बस्तोत्रम्
(वसन्ततिलका)
ओङ्काररूप शरणाश्रय शर्वसूनो
शृङ्गारवेष सकलेश्वर दीनबन्धो । (सिङ्गार वेल, शृङ्गारशूल)
सन्तापनाशन सनातन शक्तिहस्त
श्रीकार्तिकेय मम देहि करावलम्बम् ॥ १॥
पञ्चाद्रिवास सहजा सुरसैन्यनाथ
पञ्चामृतप्रिय गुहा-सकलाधिवास ।
गङ्गेन्दु मौलि तनय मयिल्वाहनस्थ
श्रीकार्तिकेय मम देहि करावलम्बम् ॥ २॥
आपद्विनाशक कुमारक चारुमूर्ते
तापत्रयान्तक दयापर तारकारे ।
आर्ताऽभयप्रद गुणत्रय भव्यराशे
श्रीकार्तिकेय मम देहि करावलम्बम् ॥ ३॥
वल्लीपते सुकृतदायक पुण…bottom of page
