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कर्नल श्री रजनीश जोशी

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बुंगाछीना गाँव से ताल्लुक रखने वाले कर्नल श्री रजनीश जोशी एक वीर सैनिक, प्रख्यात पर्वतारोही, लेखक व फोटोग्राफर हैं। 2005 में 13 गढ़वाल राइफल्स से सेना में कमीशन प्राप्त कर उन्होंने LoC जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में बटालियन की कमान संभाली। वर्तमान में वे हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट (HMI), दार्जिलिंग के प्रधानाचार्य हैं। उन्होंने माउंट एवरेस्ट, माउंट नन, कुन, आबि गामिन और किलिमंजारो सहित 30+ चोटियों पर सफल चढ़ाई की है और कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं। उनकी पुस्तक “Jatti Valley” और फोटोग्राफिक रचनाएँ उनके रचनात्मक व्यक्तित्व का प्रमाण हैं।

Colonel Rajneesh Joshi

कर्नल श्री रजनीश जोशी: साहस, सेवा और सृजनशीलता के प्रतीक

कर्नल श्री रजनीश जोशी: पर्वतों से पराक्रम तक की प्रेरणास्पद यात्रा

उत्तराखंड की पुण्य भूमि, पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना से निकलकर राष्ट्रसेवा, साहसिकता और सृजनशीलता का जो अद्वितीय संगम बना—उसका नाम है कर्नल श्री रजनीश जोशी। वर्तमान में आप विश्वविख्यात हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान (HMI), दार्जिलिंग के सोलहवें प्रधानाचार्य हैं और यह गौरव पाने वाले आप उत्तराखंड के दूसरे सैन्य अधिकारी हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

आपका बाल्यकाल सरस्वती शिशु मंदिर, देवलथल में बीता, जहाँ से आपने शिक्षा की नींव रखी। आगे की पढ़ाई देहरादून के कारमन स्कूल में हुई। एक सामान्य मध्यवर्गीय परिवार से आने वाले रजनीश जी के पिता निजी संस्था में कार्यरत थे और माता एक संस्कारी गृहिणी रहीं। बचपन से ही उनमें अनुशासन, परिश्रम और देशसेवा का बीज अंकुरित था।

सैन्य जीवन की शुरुआत

2005 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी, चेन्नई से प्रशिक्षण प्राप्त कर 13 गढ़वाल राइफल्स में कमीशन प्राप्त किया। सेना में रहते हुए उन्होंने नियंत्रण रेखा (LoC) जैसे संवेदनशील मोर्चों पर बटालियन की कमान संभाली और अद्वितीय नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। सैन्य जीवन में उन्होंने अनेक स्टाफ, प्रशिक्षण और सामरिक पदों पर कार्य करते हुए सैनिकों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रशिक्षित किया।

पर्वतारोहण व साहसिक अभियान

कर्नल श्री जोशी एक अप्रतिम पर्वतारोही हैं। उन्होंने भारत, नेपाल और फ्रांस से पर्वतारोहण व स्कीइंग की विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। अब तक वे 30 से अधिक पर्वत चोटियों को फतह कर चुके हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • 🏔 माउंट नन (7135 मीटर)

  • 🏔 माउंट कुन (7077 मीटर)

  • 🏔 माउंट आबि गामिन (7355 मीटर)

  • 🏔 माउंट किलिमंजारो (5895 मीटर)

  • 🏔 माउंट एवरेस्ट (8840 मीटर)

उन्होंने अपने नेतृत्व में माउंट कुन पर सबसे तेज़ चढ़ाई का रिकॉर्ड भी बनाया, जो मात्र 7 दिनों में पूरी हुई। इस योगदान के लिए उन्हें World Book of Records, Asia Book of Records, और India Book of Records में स्थान मिला। वे राष्ट्रीय स्तर के स्कीयर भी हैं और उन्होंने National Winter Games में भाग लिया है। स्काईडाइविंग, कार रैली, ट्रैकिंग जैसे साहसिक अभियानों में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई है। आपने माउंट एवरेस्ट पर भी सफलतापूर्वक तिरंगा लहराया है और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले आप प्रथम एचएमआई प्रिंसिपल हैं।

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लेखन और फोटोग्राफी में रुचि

कर्नल श्री जोशी साहित्यिक और कलात्मक संवेदना से भी युक्त हैं। वे Photographic Society of India के सदस्य हैं और उनकी तस्वीरें कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शित हो चुकी हैं। 2023 में उनकी पुस्तक “Jatti Valley: A Utopia of Blossoms” प्रकाशित हुई, जो हिमालय की सुंदरता और प्रकृति प्रेम का सजीव चित्रण है।

HMI का नेतृत्व – उत्तराखंड का गौरव

18 दिसम्बर,2024 को उन्होंने विधिवत रूप से Himalayan Mountaineering Institute के प्राचार्य का पदभार ग्रहण किया। HMI को भारतीय पर्वतारोहण का काशी कहा जाता है जिसकी स्थापना 4 नवम्बर 1954 को पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा माउंट एवरेस्ट फतह की स्मृति में की गई थी। यह संस्थान साहसिक खेलों और पर्वतारोहण में एशिया ही नहीं, बल्कि विश्व के अग्रणी प्रशिक्षण संस्थानों में गिना जाता है।

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कर्नल श्री जोशी का जीवन सिर्फ उपलब्धियों की गाथा नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत है—जो हर युवा को अनुशासन, परिश्रम और साहस की ओर प्रेरित करता है। वे कहते हैं—“HMI जैसे विश्वविख्यात संस्थान का नेतृत्व करना मेरे लिए गौरव का विषय है, और मैं इसकी परंपरा को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए संकल्पबद्ध हूँ।”
कर्नल श्री रजनीश जोशी उस भारत के प्रतीक हैं, जहाँ वीरता और विद्वता एक साथ चलती है। उनका जीवन पिथौरागढ़ की मिट्टी से उठकर एवरेस्ट की ऊँचाई को छू लेने की कहानी है। वे सचमुच “एक सैनिक, एक साहसी, और एक सृजनशील साधक” हैं—जो भारत माता की सेवा में सदैव समर्पित हैं।




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