
डॉ. मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वर्तमान सरसंघचालक हैं, जिन्होंने 21 मार्च 2009 को यह पद संभाला। वे एक समर्पित स्वयंसेवक, विचारशील राष्ट्रनायक और सामाजिक समरसता के पक्षधर हैं। वे विज्ञान की पढ़ाई के बाद संघ कार्य में पूर्णकालिक समर्पित हो गए।
उनके नेतृत्व में संघ ने युवाओं, सामाजिक संगठनों और तकनीकी माध्यमों से राष्ट्र निर्माण को नई दिशा दी है। वे संवादशील, संयमी, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण वाले राष्ट्र चिंतक हैं, जिनका जीवन सेवा, समर्पण और साधना का प्रतीक है।
Mohan Bhagwat
डॉ. मोहन भागवत जी (सरसंघचालक | Sarsanghchalak - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ)
“राष्ट्र सर्वोपरि” की संकल्पना के ज्वलंत प्रतीक
व्यक्तिगत विवरण :
पूरा नाम: डॉ. मोहन मधुकर भागवत
जन्म स्थान: चंद्रपुर, महाराष्ट्र, भारत
जन्म तिथि: 11 सितम्बर 1950
पिता का नाम: श्री मधुकर राव भागवत (पूर्व प्रचारक, संघ प्रचार प्रमुख)
माता का नाम: श्रीमती मालती भागवत
वैवाहिक स्थिति: अविवाहित
अन्य विवरण
मोबाइल/टेलीफोन: गोपनीय
ईमेल: contactus@rss.org
वेबसाइट: www.rss.org
सोशल मीडिया:
पूर्णकालिक स्वयंसेवक एवं प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)
शैक्षणिक योग्यता (Educational Qualification): BSc. Zoology — कॉलेज ऑफ साइंस, नागपुर | M.V.Sc. (Veterinary Sciences - Animal Pathology) — Government Veterinary College, Nagpur
पता: हेडगेवार भवन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय, नागपुर
विशेष रुचियाँ (Special Interests): राष्ट्रवाद, आध्यात्मिक अध्ययन, गौ रक्षा, ग्रामीण विकास, युवाओं में नेतृत्व निर्माण
भ्रमण किए गए देश: अमेरिका, यूके, श्रीलंका, मॉरिशस, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान सहित कई राष्ट्र(सांस्कृतिक एवं हिंदू समाज के संगठन हेतु)
अन्य जानकारी: उत्कृष्ट वक्ता, संयमी जीवन शैली, परंपरा और आधुनिकता के संतुलन में विश्वास
सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ: भारत माता पूजन, हिंदू नवजागरण | एकात्म मानववाद और अखंड भारत की विचारधारा का प्रचार
संगठनात्मक पद (Positions Held):
1975: प्रचारक, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
1991: क्षेत्र प्रचारक, बिहार
2000: सह सरकार्यवाह, RSS
21 मार्च 2009: सरसंघचालक (Sarsanghchalak), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
परोपकारी और आध्यात्मिक जीवन:
ध्यान, प्राणायाम, संयमित जीवन और वैदिक परंपरा में आस्था
गौशाला, वनवासी कल्याण आश्रम, सेवा भारती जैसे संगठनों से जुड़े
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Early Life and Education):
डॉ. मोहन भागवत का जन्म 11 सितम्बर 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर में एक अत्यंत संस्कारी, राष्ट्रवादी और संघनिष्ठ परिवार में हुआ। उनके पिता श्री मधुकर राव भागवत स्वयं संघ के प्रचार प्रमुख रह चुके थे। मां मालती जी भी सामाजिक सेवा में सक्रिय थीं। बाल्यकाल से ही वे राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और सेवा की भावना से ओतप्रोत रहे।
उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक की पढ़ाई की और फिर पशु चिकित्सा में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। हालाँकि, जीवन के उद्देश्य को गहराई से समझते हुए उन्होंने बीच में ही शिक्षा छोड़ दी और पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में संघ कार्य में समर्पित हो गए।
राजनीतिक नहीं, वैचारिक नेतृत्व:
RSS में उन् होंने सबसे पहले प्रचारक के रूप में अपने कार्य की शुरुआत की। 1975 में आपातकाल के दौरान संघ के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और लोकतंत्र की लड़ाई में उन्होंने अत्यंत सक्रिय भूमिका निभाई।1991 में उन्हें बिहार का क्षेत्र प्रचारक बनाया गया। 2000 में सह सरकार्यवाह बने और अंततः 21 मार्च 2009 को, सरसंघचालक के रूप में बालासाहब देवरस और सुदर्शन जी के बाद संघ की कमान संभाली।
उन्होंने अपने नेतृत्व में संघ को तकनीकी युग में लाया, संगठनों के साथ समन्वय मजबूत किया और युवाओं को मुख्यधारा में जोड़ने का सफल प्रयास किया। उनके नेतृत्व में संघ की विचारधारा और कार्य पद्धति अधिक पारदर्शी और संवादशील बनी है।
सामाजिक कार्य (Social Works):
डॉ. भागवत ने भारत में सामाजिक समरसता, दलित उत्थान, गौ रक्षा, ग्रामीण विकास, संस्कार निर्माण, शिक्षा एवं सेवा के क्षेत्र में सैकड़ों संगठनों के माध्यम से कार्य किया।उन्होंने अनेक बार भारत के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने की दिशा में विचार रखे — जैसे कि मुस्लिम समाज से संवाद, दलितों के मंदिर प्रवेश के पक्ष में वक्तव्य, सामाजिक समरसता पर जोर।
उपलब्धियाँ:
संघ का विस्तार: उनके नेतृत्व में RSS की शाखाओं की संख्या 40,000 से अधिक हो गई।
सांस्कृतिक समन्वय: उन्होंने भारत के सभी धर्मों व समुदायों के साथ सौहार्द्र स्थापित करने की नीति अपनाई।
सार्वजनिक संवाद: उन्होंने मीडिया के साथ संवाद की खुली परंपरा शुरू की, जो पहले संघ में कम देखने को मिलती थी।
विश्व में पहचान: विश्व हिंदू परिषद, हिंदू स्वयंसेवक संघ, और अन्य वैश्विक हिंदू संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाया।
भारतीय संस्कृति का संरक्षण: प्राचीन भारतीय मूल्यों को आधुनिक संदर्भों में प्रस्तुत किया, युवाओं को प्रेरित किया।
डॉ. मोहन भागवत एक विचारशील, सादगीपूर्ण, राष्ट्र समर्पित और आध्यात्मिक नेता हैं। उन्होंने न केवल संघ को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है, बल्कि भारत की चेतना को पुनः जाग्रत करने का कार्य भी किया है।उनका जीवन एक तपस्वी का जीवन है — जो भौतिक उपलब्धियों से नहीं, बल्कि आत्मिक सेवा और राष्ट्रकार्य से महान बना है। वह एक ऐसे युग निर्माता हैं, जिनका नेतृत्व भारत के विचार को नई दिशा देने में सक्षम है।
