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साधन, समृद्धि और सेवा की शक्ति
अर्थ केवल धन-संपत्ति नहीं, बल्कि जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अर्जित साधनों का विवेकपूर्ण प्रयोग है।यह पुरुषार्थ मनुष्य को जिम्मेदारी, उद्यम और परोपकार की ओर प्रेरित करता है। धन तभी 'अर्थ' है जब वह न्यायपूर्ण मार्ग से अर्जित हो, और लोकहित के लिए व्यय हो।"अर्थ" उस संरचना की नींव है जो जीवन के धर्म और काम को गति और आधार प्रदान करती है।
धर्म दिशा देता है, अर्थ आधार, काम रस, और मोक्ष लक्ष्य। इन चारों का संतुलित समन्वय ही "पूर्ण मानव जीवन" की संकल्पना है — यही Hindi.Wiki के मूल दर्शन का आधार है...










