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कर्तव्य, समत्व और सत्य की ऊर्जा

धर्म का तात्पर्य केवल किसी संप्रदाय या पूजा-पद्धति से नहीं है, अपितु वह संतुलनकारी शक्ति है जो व्यक्ति, समाज और प्रकृति के बीच समन्वय स्थापित करती है।

यह जीवन के प्रत्येक कार्य में न्याय, करुणा और विवेक की प्रेरणा देता है। धर्म वह आधार है जिससे मनुष्य का जीवन संस्कारित बनता है — सत्य की प्रतिष्ठा, कर्तव्य की पूर्णता और लोकमंगल की साधना। धर्म का अनुसरण जीवन को दिशा देता है, गति नहीं...

धर्म दिशा देता है, अर्थ आधार, काम रस, और मोक्ष लक्ष्य। इन चारों का संतुलित समन्वय ही "पूर्ण मानव जीवन" की संकल्पना है — यही Hindi.Wiki के मूल दर्शन का आधार है...

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