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जब प्रेम ने धर्म को प्राथमिकता दी: श्रीराम के वनगमन पर लक्ष्मण का मौन समर्थन
"तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर ।असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पूरुषः ॥"(अर्थात बिना फल की इच्छा के कर्म करते हुए व्यक्ति परम लक्ष को प्राप्त करता है)।लक्ष्मण ने इसी भाव से धर्म के प्रति अटूट निष्ठा रखते हुए श्रीराम को रोकने का प्रयत्न नहीं किया।
Mar 21, 2024


श्रीराम ने संसार का संहार क्यों नहीं किया? एक आध्यात्मिक-दार्शनिक दृष्टिकोण
अवतार का उद्देश्य: संहार नहीं, संरक्षण
हिंदू धर्म में अवतारों का उद्देश्य होता है –
“धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।”
श्रीराम का अवतरण रावण रूपी अधर्म को समाप्त करने और रामराज्य स्थापित करने के लिए हुआ था।
सम्पूर्ण सृष्टि का विनाश उनके उद्देश्य के विपरीत होता।
Mar 21, 2024


श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण: सनातन की आत्मा का पुनर्जागरण
श्रीराम भारतवर्ष की आत्मा हैं। वह केवल एक राजा नहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं – जिनका जीवन धर्म, सत्य, सेवा और त्याग की पराकाष्ठा है।...
Jan 23, 2024


महासागर की लहरों से इतिहास तक: भारत का समुद्री गौरव और वर्तमान स्थिति
एक सभ्यता की लहरों पर सवार अनंत यात्रा भारत का इतिहास केवल धरती की सीमाओं तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि इसकी पहचान समुद्र की लहरों पर भी...
Sep 25, 2023
