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धर्म


आदिशक्ति का अलौकिक रूप – श्री मालण बाईसा
।। "ॐ श्री गणेशाय नमः" ।। राज राजेश्वरी परब्रह्म विश्वरूप भगवती आदिशक्ति श्री मालण बाईसा (सृष्टि की एकमात्र माँ भगवती जगदम्बा पार्वती का...
Dec 7, 2024


प्रकाश से प्रज्ञा तक: गुरु नानक देव जी और उनकी शिक्षाओं की आज के युग में प्रासंगिकता
जब अंधकार में जन्म लेता है एक प्रकाश प्रकाश पर्व केवल एक पावन स्मृति नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक जागरण की वर्षगांठ है — एक ऐसे युगद्रष्टा...
Nov 18, 2024


जब प्रेम ने धर्म को प्राथमिकता दी: श्रीराम के वनगमन पर लक्ष्मण का मौन समर्थन
"तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर ।असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पूरुषः ॥"(अर्थात बिना फल की इच्छा के कर्म करते हुए व्यक्ति परम लक्ष को प्राप्त करता है)।लक्ष्मण ने इसी भाव से धर्म के प्रति अटूट निष्ठा रखते हुए श्रीराम को रोकने का प्रयत्न नहीं किया।
Mar 21, 2024


श्रीराम ने संसार का संहार क्यों नहीं किया? एक आध्यात्मिक-दार्शनिक दृष्टिकोण
अवतार का उद्देश्य: संहार नहीं, संरक्षण
हिंदू धर्म में अवतारों का उद्देश्य होता है –
“धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।”
श्रीराम का अवतरण रावण रूपी अधर्म को समाप्त करने और रामराज्य स्थापित करने के लिए हुआ था।
सम्पूर्ण सृष्टि का विनाश उनके उद्देश्य के विपरीत होता।
Mar 21, 2024


श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण: सनातन की आत्मा का पुनर्जागरण
श्रीराम भारतवर्ष की आत्मा हैं। वह केवल एक राजा नहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं – जिनका जीवन धर्म, सत्य, सेवा और त्याग की पराकाष्ठा है।...
Jan 23, 2024


श्रीराम ने देवी सीता के हरण के बाद भी संसार का संहार क्यों नहीं किया?
श्रीराम, एक दिव्य अवतार होकर भी, एक मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनका जीवन धर्म के अनुसार जीने का एक आदर्श उदाहरण है। उनके हर कार्य में केवल शक्ति नहीं, अपितु संयम, करुणा और cosmic (ब्रह्मांडीय) संतुलन की झलक मिलती है। जब रावण ने देवी सीता का हरण किया, तो श्रीराम ने संसार का अंत न करके धर्म के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। इसके पीछे कई गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक कारण थे:
Jul 11, 2023


“संस्कृति का स्वरूप: अतीत से वर्तमान तक की यात्रा”
– भारतीय आत्मा का बोध, सभ्यता से अलग एक विशिष्ट पहचान परिचय: संस्कृति – आत्मा का आईना संस्कृति किसी भी राष्ट्र, जाति या समुदाय की आत्मा...
Dec 7, 2019
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