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नवजागरण की राह पर भारत: ग्रामीण पर्यटन का उज्ज्वल भविष्य

  • Writer: Wiki Desk(India)
    Wiki Desk(India)
  • Feb 14, 2023
  • 4 min read
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जहाँ गाँव है, वहाँ भारत की आत्मा है।’

भारतीय ग्राम्य जीवन केवल भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक अनुभव है। हरे-भरे खेतों की पृष्ठभूमि में ढोल की थाप, लोकगीतों की मिठास और मिट्टी की सोंधी खुशबू से लिपटा भारतीय ग्रामीण परिवेश, पर्यटकों को एक आत्मीय और विशिष्ट अनुभव प्रदान करता है। आधुनिक समय में जब शहरों की आपाधापी और कृत्रिमता से जनमानस ऊब चुका है, तब ग्रामीण पर्यटन आत्मिक शांति, सांस्कृतिक विविधता और स्वाभाविक जीवनशैली का स्पर्श लेकर नई चेतना ला रहा है।

ग्रामीण पर्यटन की पुनर्परिभाषा: आधुनिक पर्यटन का भारत केंद्रित मॉडल

पर्यटन मंत्रालय द्वारा ग्रामीण पर्यटन और होमस्टे को बढ़ावा देने के लिये की गई पहलें भारत के आत्मनिर्भर, टिकाऊ और समावेशी विकास की संकल्पना को धरातल पर उतारने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास हैं। इस नीति का उद्देश्य केवल पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि ग्रामीण समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना, पारंपरिक कला और संस्कृति का संरक्षण करना तथा स्थायी विकास के मूल्यों को जनजीवन में समाहित करना है।

भारत के छह चिन्हित क्षेत्र — कृषि पर्यटन, कला एवं संस्कृति, इकोटूरिज़्म, वन्य जीवन, जनजातीय पर्यटन तथा होमस्टे — भारतीय ग्रामीण जीवन की बहुरंगी परतों को पर्यटकों के सामने खोलते हैं। इन क्षेत्रों में सिर्फ घूमने का नहीं, बल्कि "जीने और समझने" का अनुभव होता है।

धरोहरों की भूमि: भारत के गाँव और उनकी अपार संभावनाएँ

भारत का ग्रामीण भूगोल विविधता का अथाह भंडार है। उत्तर में हिमालयी गाँवों की बर्फीली छाँव से लेकर दक्षिण में चाय-बगानों की हरियाली तक, पूरब में आदिवासी संस्कृति से लेकर पश्चिम में मरुभूमि के लोक उत्सवों तक — हर ग्राम एक जीवंत संग्रहालय है। कोलुक्कुमलाई का ऊँचा चाय बागान, केरल के योग केंद्र, नगालैंड का कोन्याक रिट्रीट— ये सब भारत के अद्वितीय ग्रामीण पर्यटन अनुभवों की झलक मात्र हैं।

ग्रामीण पर्यटन में भाग लेने वाला पर्यटक केवल दर्शक नहीं होता, बल्कि वह खेतों में हल चलाता है, मिट्टी से मिट्टी के बर्तन बनाता है, रोटियाँ सेंकता है, और लोक गीतों की थाप पर थिरकता है। यह सहभागिता उसे एक गहरे मानवीय जुड़ाव का अनुभव कराती है।

आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की चाबी

ग्रामीण पर्यटन केवल आर्थिक आमदनी का स्रोत नहीं, बल्कि सामाजिक पुनर्जागरण का औजार भी है। इससे एक ओर जहाँ ग्रामीण युवाओं में उद्यमिता की भावना जन्म लेती है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं को स्वरोजगार के नए अवसर मिलते हैं। हस्तशिल्प, स्थानीय व्यंजन, पारंपरिक संगीत, नृत्य और भाषाएँ — ये सभी पर्यटन के माध्यम से फिर जीवंत हो उठते हैं।

इससे न केवल बाह्य प्रवासन में कमी आती है, बल्कि गाँवों में स्वरोजगार की संस्कृति पनपती है। सामुदायिक भागीदारी से उत्पन्न आत्मगौरव ग्रामीण भारत में नवचेतना का संचार करता है।

नीतिगत समर्थन और योजनाएँ: सरकार की सक्रिय भूमिका

सरकार की योजनाओं जैसे ‘सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम प्रतियोगिता’, ‘प्रोजेक्ट PRASHAD’, ‘स्वदेश दर्शन योजना’, और ‘विज़िट इंडिया ईयर 2023’का उद्देश्य न केवल पर्यटकों को आकर्षित करना है, बल्कि प्रत्येक गाँव को पर्यटन की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाना है। पर्यटन मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित क्लस्टर मॉडल (5-7 गाँवों का समूह) इस प्रयास को संगठित और प्रभावी बनाता है।

इन योजनाओं के माध्यम से सरकार न केवल ग्रामवासियों को प्रशिक्षण दे रही है, बल्कि 60:40 के वित्तीय सहयोग मॉडल के तहत केंद्र और राज्य मिलकर पर्यटन ढाँचे को भी सशक्त बना रहे हैं। पारंपरिक कृषि विकास योजना (PKVY) और MOVCD-NER जैसी योजनाएँ भी कृषि पर्यटन को नई ऊँचाई तक पहुँचा रही हैं।

संभावनाओं के साथ चुनौतियाँ भी

हालाँकि ग्रामीण पर्यटन में अपार संभावनाएँ हैं, फिर भी इसकी राह में कुछ महत्त्वपूर्ण बाधाएँ हैं— जैसे बुनियादी ढाँचे का अभाव, शिक्षा और जागरूकता की कमी, पर्यटन प्रबंधन की अपूर्णता, पर्यावरणीय खतरे और सुरक्षा व्यवस्था की चुनौतियाँ।

यदि पर्यटकों को गुणवत्तापूर्ण सुविधाएँ नहीं मिलतीं, तो उनके अनुभव नकारात्मक हो सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक पर्यटन प्रभावित होता है। अतः सरकार, समुदाय और निजी भागीदारों को मिलकर दीर्घकालिक योजना, सतत निगरानी और पर्यावरणीय संतुलन के साथ कार्य करना होगा।

आगे की राह: एक समरस और जागरूक भारत की ओर

ग्रामीण पर्यटन का सतत विकास तभी संभव है जब हम गाँवों को केवल दर्शनीय स्थल नहीं, बल्कि आत्मीय अनुभव केंद्र के रूप में देखें। हर गाँव को उसकी मौलिक पहचान के अनुसार विकसित करना होगा — कोई संगीत के लिये प्रसिद्ध हो, कोई मिट्टी के खिलौनों के लिये, कोई लोक देवताओं की पूजा पद्धतियों के लिये।

इसका प्रचार-प्रसार आधुनिक तकनीकों और डिजिटल मीडिया के माध्यम से हो। पर्यटन से होने वाली आमदनी का एक बड़ा हिस्सा स्थानीय लोक कलाओं और कलाकारों के संरक्षण में लगे, ताकि विरासत केवल संग्रहालयों में न रहे, बल्कि जीवंत मंचों पर जीवित रहे।

ग्रामीण पर्यटन भारत के लिये केवल आर्थिक विकास की योजना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान की क्रांति है। यह वह माध्यम है, जिसके ज़रिये गाँवों की आत्मा को शहरों के दिलों तक पहुँचाया जा सकता है। यदि इसका विकास संवेदनशीलता, जागरूकता और दीर्घकालिक सोच के साथ किया गया, तो यह भारत को दुनिया के सामने एक ऐसी सांस्कृतिक महाशक्ति के रूप में प्रस्तुत करेगा, जो परंपरा और प्रगति का अद्भुत संगम है।
गाँवों की मिट्टी में जो जादू है, वो किसी पर्यटन ब्रोशर में नहीं— वो अनुभव में बसता है। और वही है भारत का असली सौंदर्य।

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