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विशेष


मनोरंजन: जीवन की मधुर संगीतमय धारा
मनोरंजन: जीवन की मधुर संगीतमय धारा— जहाँ थम जाता है तनाव, खिल उठती है चेतना मनुष्य की चेतना केवल श्रम और चिंतन में नहीं सिमटी है, वह...
Jul 12


सावरकर का साहित्य: राष्ट्रचेतना, सांस्कृतिक गौरव और हिन्दुत्व का दिव्य चिंतन
सावरकर का साहित्य: राष्ट्रचेतना, सांस्कृतिक गौरव और हिन्दुत्व का दिव्य चिंतन— एक कालजयी विचारधारा, जो शब्दों में अग्नि बनकर प्रज्वलित...
May 28


समाज और राष्ट्र के मार्गदर्शक – विचार, व्यक्तित्व और भूमिका
“एक समाज के उत्थान की दिशा उस प्रकाश की ओर होती है, जो उसे उसके मार्गदर्शकों से प्राप्त होता है।” हर सभ्यता, हर राष्ट्र, हर युग की पीठिका...
Dec 16, 2024


सामाजिक विज्ञान: समाज और मानवता के अध्ययन का महत्व
जब समाज बनता है विषय सामाजिक विज्ञान केवल एक अध्ययन विषय नहीं, बल्कि यह मानव सभ्यता की आत्मा को समझने की चेष्टा है। यह उस प्रक्रिया का...
Dec 16, 2024


आदिशक्ति का अलौकिक रूप – श्री मालण बाईसा
।। "ॐ श्री गणेशाय नमः" ।। राज राजेश्वरी परब्रह्म विश्वरूप भगवती आदिशक्ति श्री मालण बाईसा (सृष्टि की एकमात्र माँ भगवती जगदम्बा पार्वती का...
Dec 7, 2024


कश्मीर का शिल्प और सांस्कृतिक संवाद: एक पुनर्जागरण की कहानी
जब शिल्प बनता है संस्कृति का दूत भारत की शिल्प परंपरा उसकी सांस्कृतिक चेतना की अमूल्य अभिव्यक्ति है। विशेषतः कश्मीर का शिल्प क्षेत्र,...
Dec 1, 2024


"भाषा और साहित्य: राष्ट्र की आत्मा, समाज का आईना"
"भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, यह सभ्यता की आत्मा है। साहित्य केवल लेखन नहीं, यह समाज का दर्पण है।" भाषा और साहित्य – ये दोनों किसी भी...
Sep 14, 2024


भारतीय शिक्षा के पुनरुत्थान की यात्रा: कोठारी आयोग से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तक
शिक्षा – राष्ट्र निर्माण की आत्मा किसी भी सभ्य और समृद्ध राष्ट्र की बुनियाद उसकी शिक्षा प्रणाली पर टिकी होती है। शिक्षा केवल ज्ञान का...
Jul 18, 2024


सक्षम भारत की ओर एक ऐतिहासिक कदम: ‘प्रोजेक्ट उद्भव’ और भारतीय सेना की सामरिक चेतना का पुनर्जागरण
भारत की भूमि केवल ऋषियों और संतों की नहीं रही है, यह वीरों और समर नायकों की भी जन्मभूमि रही है। वेदों से लेकर महाभारत तक और मौर्य-गुप्त...
May 1, 2024


जब प्रेम ने धर्म को प्राथमिकता दी: श्रीराम के वनगमन पर लक्ष्मण का मौन समर्थन
"तस्मादसक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर ।असक्तो ह्याचरन्कर्म परमाप्नोति पूरुषः ॥"(अर्थात बिना फल की इच्छा के कर्म करते हुए व्यक्ति परम लक्ष को प्राप्त करता है)।लक्ष्मण ने इसी भाव से धर्म के प्रति अटूट निष्ठा रखते हुए श्रीराम को रोकने का प्रयत्न नहीं किया।
Mar 21, 2024


श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण: सनातन की आत्मा का पुनर्जागरण
श्रीराम भारतवर्ष की आत्मा हैं। वह केवल एक राजा नहीं, मर्यादा पुरुषोत्तम हैं – जिनका जीवन धर्म, सत्य, सेवा और त्याग की पराकाष्ठा है।...
Jan 23, 2024


श्रीराम ने देवी सीता के हरण के बाद भी संसार का संहार क्यों नहीं किया?
श्रीराम, एक दिव्य अवतार होकर भी, एक मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनका जीवन धर्म के अनुसार जीने का एक आदर्श उदाहरण है। उनके हर कार्य में केवल शक्ति नहीं, अपितु संयम, करुणा और cosmic (ब्रह्मांडीय) संतुलन की झलक मिलती है। जब रावण ने देवी सीता का हरण किया, तो श्रीराम ने संसार का अंत न करके धर्म के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। इसके पीछे कई गहरे आध्यात्मिक और दार्शनिक कारण थे:
Jul 11, 2023


भारत के नववर्ष पर्व: विविधता में एकता का उल्लास
भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर ऋतु, हर दिशा और हर समुदाय की अपनी सांस्कृतिक पहचान और परंपराएँ हैं। इन्हीं परंपराओं में एक विशेष स्थान है...
Mar 21, 2023


नवजागरण की राह पर भारत: ग्रामीण पर्यटन का उज्ज्वल भविष्य
जहाँ गाँव है, वहाँ भारत की आत्मा है।’ भारतीय ग्राम्य जीवन केवल भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि एक समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक अनुभव है। हरे-भरे...
Feb 14, 2023


नवसंजीवनी की ओर भारत: आयुर्वेद का पुनरुत्थान और वैश्विक महत्व
‘प्राकृतिक जीवनशैली की ओर लौटना ही आयुर्वेद का मूल सन्देश है।’ भूमिका: भारत की आत्मा से जुड़ा जीवन विज्ञान भारत की सांस्कृतिक आत्मा,...
Sep 20, 2022


“सूर्य की भूमि: ललितादित्य का वैभव और मार्तण्ड मंदिर की दिव्यता”
भारत की दिव्य सूर्य परंपरा और कश्मीर की स्वर्णिम धरोहर भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में सूर्य का स्थान सर्वोच्च है—वह केवल एक ग्रह नहीं,...
May 9, 2022


लोकनायक गोस्वामी तुलसीदास: सांस्कृतिक पुनर्जागरण के अमर शिल्पी
लोकनायक गोस्वामी तुलसीदास: सांस्कृतिक पुनर्जागरण के अमर शिल्पी (एक दिव्य चेतना, जिसने धर्म, समाज और संस्कृति को एकत्रित कर राष्ट्र को नई...
Dec 7, 2019


भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का प्रभाव और स्वतंत्रता संग्राम
भारत में ब्रिटिश शासन का आगमन एक व्यापारिक कंपनी के रूप में हुआ, परंतु समय के साथ यह शासन व्यवस्था में बदल गया और लगभग दो सौ वर्षों तक...
Dec 7, 2010


पृथ्वी का भूगोल: महाद्वीप और महासागर का अध्ययन
पृथ्वी, सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन संभव है। इसका कारण यहाँ उपलब्ध जल, वायुमंडल, उपयुक्त तापमान, और सतह की विविध संरचनाएँ...
Dec 7, 2009
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